परमेश्वर से दुर हो जाना
एक समय था कि शमौन पतरस अपने आपको इस बात पर दोषी ठहरा रहा था कि उसने प्रभु यीशु का तीन बार इनकार किया। उसने इतना अपने आप पर दोष ले लिया की वह अपने पुराने जीवन के व्यवसाय में लोट गया।
बाइबल बताता है यूहन्ना २१:४- उस भोर सवेरे, प्रभु यीशु किनारे पर ही थे परंतु उसके चेले उसको पहचान नहीं पाए।
उसने उनको कहा, “दोस्तों क्या तुम्हारे पास मछली है?
“नही,” उन्होंने उत्तर दिया। प्रभु यीशु ने कहा, “अपने जाल नाव के दाहिने ओर फेंको और तुम कुछ मछलियाँ पाओगे।”
जब उन्होंने किया, तब अधिक संख्या में मछलियों के फँसने के कारन वे जाल को नही खींच पाए।तब जिस चेले को यीशु प्यार करता था, उसने शमौन पतरस से कहा, “ यह प्रभु यीशु है “!
जैसे ही शमौन पतरस ने सुना, “यह प्रभु है,”तो उसने अपना बाहर पहनने का वस्त्र कस लिया और पानी में कूद पड़ा।
प्रभु यीशु हमे कभी नही छोड़ते हैं!
जबकि पतरस वहाँ झील में था, यीशु उसे वहाँ ढुडंता हुआ आया। वह हम में से किसी को नही छोड़ता है।
वहाँ उसी किनारे पर, यीशु अपने चेलों का लोटने का इंतज़ार कर रहा था। फिर भी वे उसे पहचान नही पाए।
पहले, यीशु अपने चेलों को उनके विश्वास योग्य होने पर भी फटकार लगाते थे लेकिन अब वे प्रभु यीशु से बहुत दुर थे, प्रभु यीशु ने उनको इस बार फटकार नहीं लगाई बलकी प्रोत्साहित किया।
बहुत से लोग परमेश्वर से दुर हो जाते है क्योंकि वे अपने अतं करन में ख़ुद को दोषी ठहराते है। जब लोग प्रभु यीशु से दुर हो जाते है, फटकार उन्हें पीता से ओर दुर ले जाता है। जब चेले प्रभु यीशु से दुर थे, फटकार के बजाए उसने उन्हें प्रेम किया ।
किस प्रकार आपने २०१७ प्रभु यीशु के साथ बिताया?
क्या आप किनारे से बहुत दुर है ? क्या आप अब भी परमेश्वर की आवाज़ सुन पाते हो?
यदि आप परमेश्वर से दुर चले गए हो, तो यह सही समय हे फिर से लोटे।
प्रभु यीशु को अपनी सहायता के लिए पुकारे इसके पहले की आप किनारे से इतने दुर न चले जाए की आप अपनी आत्मिक समझ की राह को ही खो दे।
हमारे प्रभु यीशु के शब्दों का पीछा करने में कुछ तो ख़ास बात ज़रूर हैं, उनके शब्दों को गहराई से समझना ज़रूरी है। जब आप प्रभु यीशु के शब्दों को अपनाते हो, जब आप उसके शब्दों का उत्तर देते हो, तो कोई फ़र्क़ नही पड़ता कि आपके जीवन में क्या टूटा हुआ हे,परंतु आप केवल महानता को आकर्षित करते हो।
विश्वासि केवल इसलिए असफल होता हे क्योंकि मन की लड़ाई के दौरान वह परमेश्वर की आवाज़ को नही खोजता है।
यदि हम हमारे प्रभु के शब्दों को गबिंरता से समझे, महानता हमे ढूँढेगी।
यदि आपकी नाव ख़ाली है तो ठीक है, यह भी ठीक हे यदि आपको कोई मुक़ाम आसील नही हुआ हो।
उपलब्धि हमारे ह्रदय की लालसा नही होनी चाहिए परंतु उसकी आवाज़ की तलाश ! पवित्र आत्मा की धुन में रहे और उसके शब्दों को खोजते रहे ।
क्या आप उसकी आवाज़ को खोजेंगे और अपनी हर ज़रूरतों पर हर बारी रूक कर फ़ैसला लेंगे?
इससे पहले की आप दूसरों के पास मदत या उपलब्धि के लिए जाए, क्या आप पहले उसकी आवाज़ को खोजेंगे ? इससे पहले आपकी परसतिथि आप पर हावी हो जाए, क्या आप पहले उसकी आवाज़ को ढूँढेंगे ?
परमेश्वर को खोजो और उसकी आवाज़ को भी। अगर आप परमेश्वर की आवाज़ को सुन पा रहे हो तो बाक़ी सारे मामले मायने नही रखते, यदि आप उसकी आवाज़ सुन पा रहे हो तो सकंट की आवाज़ अपने आप शांत हो जाएगी। यदि आप रुको और स्वर्गीय पीता की आवाज़ को सुनो तो आप फिर से तयार हो जाओगे दुनिया का सामना करने के लिए।
अगर आपकी इच्छा परमेश्वर के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की है, तो आपकी उपलब्धि पक्की है।
चमत्कार के पीछे न भागो, उपलब्धि के पीछे न भागो, परंतु हमारे प्रभु यीशु के शब्दों का पीछा करो, उपलब्धि और चमत्कार ख़ुद ब ख़ुद आएगी।
हमे हमारे प्रावधान से ज़्यादा, हमारे नौकरी से ज़्यादा, परसतीथि में बदलाव से ज़्यादा यदि किसी की ज़रूरत है तो वह परमेश्वर की आवाज़ हमसे बात करने के लिए, हम जो उसकी संतान है हमे उसके आवाज़ की ज़रूरत है।
उसकी निकटता हमारी महानता है।
परमेश्वर के पास हमारे जीवन में जो कुछ हो रहा है उसके लिए एक सुझाव है। यदि हम गंभीरता से उसकी बुलाहट को सुनकर तुरंत उसका उत्तर दे , वही पर हमे उबरने की शक्ति प्राप्त होगी।
कही बार हमारी असफलता हमारा ध्यान आकरशीत करती है। परंतु परमेश्वर हमारी ज़रूरतें , नख़रेबाज़ी या हमारे भावनात्मक गुहार का उत्तर नही देते। परमेश्वर उस व्यक्ति को उत्तर देते हे जो नम्र मन से उसकी आवाज़ को सुनने की चाह रखता है।
उसकी आवाज़ की ओर ध्यान फिराकर उसे तुरंत उत्तर दे। उसका अनुग्रह आपके लिए काफ़ी है।
यीशु ने प्रेम से अपने चेलों को बुलाया। परमेश्वर अपनी दया में हम से बातें करते है। उसकी आवाज़ सुनने के लिए, उसे जानने के लिए, हम पर उसके बच्चे होने के कारन दया और अनुग्रह हुआ है । उसकी निकता हमारी महानता है।